नई दिल्ली: प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना, गरीब कारीगरों और शिल्पकारों के लिए एक क्रांतिकारी कदम साबित हो रही है. इस योजना के तहत अब तक 1,751 करोड़ रुपये का लोन स्वीकृत किया जा चुका है, जिससे लोहार, राजमिस्त्री, कुम्हार, दर्जी और बढ़ई जैसे कारीगरों को लाभ मिल रहा है.
आसान लोन और कम ब्याज दर
सरकार कारीगरों को 5 प्रतिशत की कम ब्याज दर पर लोन प्रदान कर रही है. इसके अलावा, 8 प्रतिशत ब्याज अनुदान भी दिया जा रहा है, जिससे कारीगरों को किफायती दरों पर वित्तीय सहायता मिल रही है. लोन चुकाने की अवधि पहले किस्त के लिए 18 महीने और दूसरी किस्त के लिए 30 महीने निर्धारित की गई है.
15,000 रुपये तक का टूलकिट प्रोत्साहन
इस योजना के तहत, कारीगरों को ई-वाउचर के माध्यम से 15,000 रुपये तक का प्रोत्साहन दिया जा रहा है, ताकि वे आधुनिक औजार खरीद सकें और अपने व्यवसाय को और भी प्रौद्योगिकियों से सुसज्जित कर सकें.
लाखों कारीगरों को लाभ
राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) के आंकड़ों के अनुसार, अब तक 2.58 करोड़ आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 23.75 लाख आवेदकों को सत्यापन के बाद योजना का लाभ दिया गया है. इसके साथ ही, लगभग 2.02 लाख नए बैंक खाते खोले गए हैं.
17 ट्रेड्स को मिला महत्व
इस योजना में 18 पारंपरिक ट्रेड्स के कारीगर शामिल किए गए हैं. ये कारीगर अपने हाथों और औजारों से काम करते हैं. इसके अलावा, इन ट्रेड्स में कारीगरों को कुशलता बढ़ाने और व्यवसायिक सफलता प्राप्त करने के लिए विशेष प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है.
13,000 करोड़ रुपये का खर्च
2023-24 से 2027-28 तक इस योजना के लिए सरकार ने 13,000 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है. यह योजना कारीगरों को आर्थिक मजबूती और आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.
देशभर में प्रशिक्षण कार्यक्रम
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में औपचारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. यह कार्यक्रम कारीगरों के कौशल को बढ़ाने और उनके व्यवसाय को नई ऊंचाई देने में मदद कर रहा है.
कारीगरों के जीवन में बदलाव
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना ने पारंपरिक कारीगरों को उनकी कला को निखारने और नए आयाम देने का अवसर प्रदान किया है. सरकार का यह कदम उन्हें उद्यमी और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो रहा है.